Panchmukhi Tirth Yatra Chhattisgarh
7 JYOTIRLING YATRA
1.)महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, 2.)ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, 3.)सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, 4.)नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, 5.)घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, 6.)त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, 7.)भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, 8.)शिर्डी साईं बाबा, 9.)सनी सिंगापुर, 10.)द्वारकाधीश धाम
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KEY FEATURES
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, - मान्यताओं के मुताबित उज्जैन महाकाल के प्रकट होने से जुड़ी एक कथा है। जिसमें दूषण नामक असुर से प्रांत के लोगों की रक्षा के लिए महाकाल यहां प्रकट हुए थे। फिर जब दूषण का वध करने के बाद भक्तों ने शिवजी से उज्जैन में ही रहने की प्रार्थना की तो भगवान शिव महाकाल ज्योतिर्लिंगों के रूप में प्रकट हुए।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है , सदियों पहले भील जनजाति ने इस जगह पर लोगो की बस्तियां बसाई और अब यह जगह अपनी भव्यता और इतिहास से प्रसिद्ध है
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - चन्द्रदेव का एक नाम सोम भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसीलिए इसका नाम 'सोमनाथ' हो गया।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - ऐसा माना जाता है की नागेश्वर अर्थात की नागों का ईश्वर नागों का देवता वासुकी जी भगवान शिव जी के गले में रहते है
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - यह मंदिर अजंता और एलोरा की गुफाओं के निकट स्थित है। यह शिवलिंग शिव की अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का स्वरूप है। उसी के नाम पर ही इस शिवलिंग का नाम घुष्मेश्वर पड़ा था। मान्यता है कि इस मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 18 वीं शताब्दी में इंदौर की महारानी पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - क्षेत्र में कई ऐसे ऋषि थे जो गौतम ऋषि से ईर्ष्या करते थे और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते थे। एक बार सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। सभी ने कहा कि इस हत्या के पाप के प्रायश्चित में देवी गंगा को यहां लेकर आना होगा। तब गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा शुरू कर दी।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - महादेव ने जिस स्थान पर भीमा का वध किया वह स्थान देवताओं के लिए पूज्यनीय बन गया। सभी ने भगवान शिव से उसी स्थान पर शिवलिंग रूप में प्रकट होने की प्रार्थना की। - भगवान शंकर ने देवताओं की यह अर्जी भी मान ली और उसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। तभी से इस स्थान को भीमाशंकर के नाम से जाना जाता है।
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