Panchmukhi Tirth Yatra Chhattisgarh
BABA BAIDYANATH DHAM YATRA
1)बाबा बैधनाथ धाम ज्योतिर्लिंग, 2)गंगा सागर, 3)मां कामाख्या देवी मंदिर, 4)कोलकाता , 5)दक्षिणेश्वर काली घाट, 6)काली मंदिर, 7)भुनेश्वर, 8)कोणार्क मंदिर, 9)लिंगराज 10) श्री उमा महेश्वर मंदिर (गुवाहाटी), 11) जगरनाथ पूरी,12) बाबा वासुकीनाथ
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KEY FEATURES
बाबा बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग - देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के 9वें ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. ये एकमात्र मंदिर है जहां शिव और शक्ति दोनों एक साथ विराजमान हैं. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में इसे 9वें ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. देवघर स्थित बैजनाथ धाम भगवान भोलेनाथ का एकमात्र मंदिर है. जहां शिव और शक्ति दोनों एक साथ विराजमान हैं इसलिए इसे शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक बाबा बैद्यनाथ धाम में ही माता सती का हृदय कटकर गिरा था इसलिए इसे ही हृदयपीठ के रूप में भी जाना जाता है. देवघर स्थित विश्व प्रसिद्ध बैद्यनाथ मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका जुड़ाव लंकापति दशानन रावण से है, रावण से जुड़ाव के कारण बैधनाथ धाम स्थित भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को रावणेश्वर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है.
जगन्नाथ पुरी - पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी उड़ीसा राज्य के समुद्री तट पर बसा है। जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है।
गंगा सागर - जब माता गंगा भगवान शिव की जटा से निकलकर पृथ्वी पर पहुंची थीं तब वह भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम में जाकर सागर में मिल गई थीं। मां गंगा के पावन जल से राजा सागर के साठ हजार शापग्रस्त पुत्रों का उद्धार हुआ था। इस घटना की याद में तीर्थ गंगा सागर का नाम प्रसिद्ध हुआ।. 2) गंगासागर के समीप कपिल मुनि आश्रम बनाकर तपस्या करते थे। कपिल मुनि के भगवान विष्णु का अंश भी माना जाता है। कपिल मुनि के समय राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ किया और इंद्र देव ने एक अश्व को चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। अश्वमेघ यज्ञ का अश्व चोरी हो जाने पर राजा ने अपने 60 हजार पुत्रों को उसकी खोज में लगा दिया। वे सभी खोजते-खोजते कपिल मुनि के आश्रम में जा पहुंचे और मुनि पर चोरी का आरोप लगाया। इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के सभी 60 हजार पुत्रों को जलाकर भस्म कर दिया। राजा सगर ने मुनि से पुत्रों के लिए क्षमा मांगी। कपिल मुनि ने कहा कि सभी पुत्रों को मोक्ष के लिए अब बस एक ही मार्ग बचा है, तुम स्वर्ग से गंगा को पृथ्वी पर लेकर आओ। राजा सगर के पोते राजकुमार अंशुमान ने प्रण लिया कि जब तक मां गंगा पृथ्वी पर नहीं आ जाती, तब तक इस वंश का कोई भी राजा चैन से नहीं बैठेगा। राजकुमार अंशुमान राजा बन गए और फिर उसके बाद राजा भागीरथ आए। राजा भागीरथ की तपस्या मां गंगा प्रसन्न हुईं और मकर संक्रांति के दिन पृथ्वी लोक पर आईं और कपिल मुनि के आश्रम पहुंचीं।
कामाख्या देवी गुवाहाटी - पूर्वकाल के इतिहास के अनुसार भगवान विष्णु ने माता सती के अपने चक्र से 51 भाग किए थे, क्युकी वह भगवान शिव का मोह मां सती के प्रति भंग करना चाहते थे। तब उनके 51 भाग जहा-जहा गिरे वह सब 51 शक्तिपीठों के नाम से जाने गए। और उस 51 भागो में से माता की योनि इस कामाख्या में गिरी थी। इसीलिए यह माता की योनि की पूजा भी की जाति है।
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